Monday, September 28, 2009

नियाज़

मौला..
हैरत मेअराज -ए -हर दो जहाँ
हैरत मेअराज -ए -हर दो जहाँ, बेनियाज़ कर
ऐं ख्वाब -कार ए दौलत ए बेदार ए में कुन
खुली जबके चश्म -ए -दिल -ए -हज़ीं
खुली जबके चश्म -ए -दिल -ए -हज़ीं
तो वोह नम रहा न तरी रही
होई हैरत ऐसी कुछ आँख पर
होई हैरत ऐसी कुछ आँख पर
बे -असर की बे -असरी रही
पड़ी गोश -ए -जान -ए अजब निदा
पड़ी गोश -ए -जान -ए अजब निदा
के जिगर न बे -जिगरी रही
खबर -ए -तहिय्युर -ए -इश्क सुन
न जुनूँ रहा न परी रही
न तो तू रहा न तो मैं रहा
जो रही सो बे -खबरी रही



मुझे बेखुदी यह तुने भली चाशनी चखाई
किसी आरजू की दिल में..
किसी आरजू की दिल में नहीं अब रहीं समाई
मुझे बेखुदी यह तुने..

न हज़र है ने ख़तर है न रजा है ने दुआ है..
न हज़र है ने ख़तर है न रजा है ने दुआ है....
न ख्याल ए बंदगी है...
न ख्याल ए बंदगी है न तमन्ना ए खुदाई
मुझे बेखुदी यह तुने...
मुझे बेखुदी यह तुने भली चाशनी चखाई
मुझे बेखुदी यह तुने...

न मकाम ए गुफ्तगू है न मोहल्ल ए जुस्तजू है
न मकाम ए गुफ्तगू है न मोहल्ल ए जुस्तजू है
न वहां हवास पहुंचे..
न वहां हवास पहुंचे न फ़िरद को है रसाई
मुझे बेखुदी यह तुने...
न वहां हवास पहुंचे न फ़िरद को है रसाई
मुझे बेखुदी यह तुने...

न मकीं है ने मकाँ है न जमीं है ने जमाँ है
न मकीं है ने मकाँ है न जमीं है ने जमाँ है
दिल ए बेनवा ने मेरे...
दिल ए बेनवा ने मेरे वहाँ छावनी है छाई
मुझे बेखुदी यह तुने...
दिल ए बेनवा ने मेरे वहाँ छावनी है छाई
मुझे बेखुदी यह तुने...

न विसाल है न हिज्राँ न सरुर है न गम है..
न विसाल है न हिज्राँ न सरुर है न गम है.......
जिसे कहिये ख्वाब ए गफलत....
जिसे कहिये ख्वाब ए गफलत सो वो नींद मुझे को आई
मुझे बेखुदी यह तुने...
जिसे कहिये ख्वाब ए गफलत सो वो नींद मुझे को आई
मुझे बेखुदी यह तुने भली चाशनी चखाई

मुझे बेखुदी यह तुने भली चाशनी चखाई
मुझे बेखुदी यह तुने भली चाशनी चखाई
मुझे बेखुदी यह तुने भली चाशनी चखाई
मुझे बेखुदी यह तुने...


- हज़रत शाह नियाज़

Sung By - Abida Parveen


वरील गानप्रकार हा सुफी प्रकारचा आहे.
हे Raqs-E-Bismil (आश्र-ए-बिस्मिल) या अल्बम मधील आहे.


मराठी रुपांतर


मौला..
अदभूतच ! उन्मदावस्था या दोन्ही जगात...., स्वच्छंदी हो
या स्वप्नपूर्तीत या श्रीमंतीतच जागृत होउन जा ...
उघडली जेव्हा हृदयाची नयने हे दुखी माणसा
तर ती पाणावली धुंद राहिली..
होती नवलाई अशी काही डोळ्यांवर
निष्प्रभ हेच प्रभावरहित राहिले..
पडली निष्प्राण कानांवर दयाळू अजब साद...
की हृदयाचा ठोकाच चुकला....
खबर ही विस्मयकारक प्रेमाची ऐक
ना उन्माद राहिला ना आतुरता राहिली...
ना की तू राहिलास ना की मी राहिलो..
जे राहिले ते निर्भ्रम राहिले..

मला धुंदी तू, भलताच साखरेचा पाक (गोडवा) चाखवलास
कोणत्याच इच्छेची मनात नाही आता, खंत सामावतेय..

ना भय आहे ना संकट आहे, न अभिलाषा (आज्ञा) आहे न विनंती (प्रार्थना) आहे
नाही विचारांचे बंदिस्त हे जग आहे, नाही इच्छा-कामनांनी बरबटलेले हे जग आहे...

न संधीची (परिणामांची) चर्चा आहे, न सवलतीचा (कारणांचा) शोध आहे..
ना की तिथे पाचही जाणीवा पोहोचतात, ना चातुर्याला प्रवेश आहे.. (वाव असतो)

नाही वसणारा आहे इथे नाही वस्ती आहे...न जमीन आहे इथे न संसार आहे...
कंगाल हृदयाने माझ्या तिथे छावणी ही वसवली...

न मिलन आहे न विरह...न उत्कंठा आहे न खेद आहे...
ज्यात असते बेसावध स्वप्न, अशी निज मला ही आली..

- हजरत शाह नियाज

Wednesday, September 23, 2009

हमसफ़र बनके हम साथ है, आज भी...

हमसफ़र बनके हम साथ है, आज भी...फिर भी है ये सफ़र, अजनबी..अजनबी..
राह भी अजनबी, मोड़ भी अजनबी,
जायेंगे हम किधर अजनबी.. अजनबी..

जिंदगी हो गयी है, सुलगता सफ़र ..
जिंदगी हो गयी है सुलगता सफ़र..
दूर तक आ रहा है, धुआ सा नजर..
जाने किस मोड़ पर, खो गयी हर ख़ुशी..
देके दर्द-ऐ-जिगर..अजनबी.. अजनबी..

हमसफ़र बनके हम साथ है, आज भी...फिर भी है ये सफ़र, अजनबी..अजनबी..

हमने चुन-चुनके तिनके, बनाया था जो..
हमने चुन-चुनके तिनके बनाया था जो..
आशियाँ हसरतों से सजाया था जो..
है चमन में वही, आशियाँ आज भी..
लग रहा है मगर, अजनबी.. अजनबी..

हमसफ़र बनके हम साथ है, आज भी...फिर भी है ये सफ़र, अजनबी..अजनबी..

किसको मालूम था, दिन ये भी आयेंगे..
किसको मालूम था दिन ये भी आयेंगे..
मौसमों की तरह दिल बदल जायेंगे..
दिन हुआ अजनबी ..रात भी अजनबी..
हर घडी हर पहर, अजनबी..अजनबी..

हमसफ़र बनके हम साथ है, आज भी...फिर भी है ये सफ़र, अजनबी..अजनबी..

राह भी अजनबी, मोड़ भी अजनबी, जायेंगे हम किधर अजनबी.. अजनबी..

- Madan Pal

Sung By - Jagjit Singh
Music By - Chitra Singh

Monday, September 21, 2009

उसका मुख एक ज्योत है..
घूँघट है संसार..
घूँघट में.. वोह छुप गया....
मुख पर आँचल डाल..

जाहिदने मेरा हौसले-इमाँ नहीं देखा..
जाहिदने मेरा हौसले-इमाँ नहीं देखा..
रुखपर तेरी ज़ुल्फों को परेशाँ नहीं देखा..
रुखपर तेरी ज़ुल्फों को परेशाँ नहीं देखा..

हर हाल में बस पेश--नजर है वही सूरत..
हर हाल में बस पेश--नजर है वही सूरत..
...................................................
मैंने कभी रूहे शब्--हिजरा नहीं देखा..
मैंने कभी रूहे शब्--हिजरा नहीं देखा..
रुखपर तेरी ज़ुल्फों को परेशाँ नहीं देखा..जाहिदने मेरा हौसले-इमाँ नहीं देखा..

आये थे सभी तरह के जलवे मेरे आगे..
आये थे सभी तरह के जलवे मेरे आगे..
................................................
मैंने मगर दीदार--हैरान नहीं देखा..
मैंने मगर दीदार--हैरान नहीं देखा..
जाहिदने मेरा हौसले-इमाँ नहीं देखा..रुखपर तेरी ज़ुल्फों को परेशाँ नहीं देखा..

क्या क्या हुआ हंगाम--जुनूँ ये नहीं मालूम..
क्या क्या हुआ हंगाम--जुनूँ ये नहीं मालूम..
...............................................................
कुछ होश जो आया तो गरीबाँ नहीं देखा..
कुछ होश जो आया तो गरीबाँ नहीं देखा..
जाहिदने मेरा हौसले-इमाँ नहीं देखा..रुखपर तेरी ज़ुल्फों को परेशाँ नहीं देखा..

क्या क्या हुआ हंगाम--जुनूँ ये नहीं मालूम..
क्या क्या हुआ हंगाम--जुनूँ ये नहीं मालूम..
क्या क्या....
हुआ...हुआ ..........
हंगाम--जुनूँ ....
ये नहीं मालूम.........
क्या क्या हुआ हंगाम--जुनूँ ये नहीं मालूम..
कुछ होश जो आया तो गरीबाँ नहीं देखा..
कुछ होश जो आया तो गरीबाँ नहीं देखा..
जाहिदने मेरा हौसले-इमाँ नहीं देखा..रुखपर तेरी ज़ुल्फों को परेशाँ नहीं देखा..

क्या ..क्या... हुआ........
क्या क्या हुआ ...हंगाम--जुनूँ... ये नहीं मालूम..
कुछ होश जो आया तो गरीबाँ नहीं देखा ..

- अस्घर गोंडवी

Sung By - Abida Parveen
आबिदा परवीन यांनी गायलेले
Lyrics By - Asghar Gondavi
अस्घर गोंडवी यांनी लिहिलेले

वरील गानप्रकार हा सुफी प्रकारचा आहे.
हे Raqs-E-Bismil (आश्र-ए-बिस्मिल) या अल्बम मधील आहे.
अबिदा परवीनच्या Sad Gazal पठडीमध्ये याची गणना होते.
आपल्याला काही शब्द जाणून घ्यायचे असतील,तर commet मध्ये तो शब्द लिहा.

Sunday, September 20, 2009

अभी से कैसे कहूँ तुमको बेवफा साहब...
अभी से कैसे कहूँ तुमको बेवफा साहब...

अभी तो अपने सफ़र की है इब्तदा साहब..

जाने कितने लकब दे रहा है दिल तुमको..
जाने कितने लकब दे रहा है दिल तुमको..
हुजुर जाने वफ़ा और हम नवाँ साहब..
हुजुर जाने वफ़ा और हम नवाँ साहब..

तुम्हारे याद में तारे शुमार करती हूँ
तुम्हारे याद में तारे शुमार करती हूँ
जाने ख़त्म कहाँ हो ये सिलसिला साहब..
जाने ख़त्म कहाँ हो ये सिलसिला साहब..

तुम्हारा चेहरा मेरे अख्स से उबरता है
तुम्हारा चेहरा मेरे अख्स से उबरता है
जाने कौन बदलता है आयना साहब..

अभी तो अपने सफ़र की है इब्तदा साहब..
अभी से कैसे कहूँ तुमको बेवफा साहब..

- इंदिरा वर्मा

Sung By - Rekha Bhardwaj
Music By - Sudeep Banerjee


Monday, September 14, 2009

इश्क का राज


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इश्क का राज, अगर न खुल जाता
इश्क का राज, अगर न खुल जाता
इस कदर, तू न हमसे शरमाता
इस कदर, तू न हमसे शरमाता.....

इश्क का राज, अगर न खुल जाता..इश्क का राज, अगर न खुल जाता
इस कदर, तू न हमसे शरमाता....इस कदर, तू न हमसे शरमाता.....

इश्क का राज, अगर न खुल जाता..

आके तब बैठता है वो, हम पास
आके तब बैठता है वो. हम पास
आफमे जब हमे, नहीं पाता
आफमे जब हमे, नहीं पाता

इस कदर, तू न हमसे शरमाता....इस कदर, तू न हमसे शरमाता.....
इश्क का राज, अगर न खुल जाता..इश्क का राज, अगर न खुल जाता

जिन्दगीने वफ़ा न की, वरना
जिन्दगीने वफ़ा न की, वरना
में तमाशा वफ़ा दिखलाता
में तमाशा वफ़ा दिखलाता

इस कदर, तू न हमसे शरमाता....इस कदर, तू न हमसे शरमाता.....
इश्क का राज, अगर न खुल जाता..इश्क का राज, अगर न खुल जाता

सब ये बाते है, चाहत की वरना
सब ये बाते है, चाहत की वरना
इस कदर, तू न हमपे झुन्जलाता
इस कदर, तू न हमपे झुन्जलाता

इस कदर, तू न हमसे शरमाता....इस कदर, तू न हमसे शरमाता.....
इश्क का राज, अगर न खुल जाता..इश्क का राज, अगर न खुल जाता

में न सुनता, किसीकी बात हस्सन
में न सुनता, किसीकी बात हस्सन
दिल जो, बाते न मुझको सुनवाता
दिल जो, बाते न मुझको सुनवाता

इस कदर, तू न हमसे शरमाता....इस कदर, तू न हमसे शरमाता.....
इश्क का राज, अगर न खुल जाता..इश्क का राज, अगर न खुल जाता

इस कदर, तू न हमसे शरमाता....
इस कदर, तू न हमसे शरमाता.....
इश्क का राज, अगर न खुल जाता..इश्क का राज, अगर न खुल जाता


- मीर हस्सन



मराठीत रुपांत

प्रेमाच गुपित जर न कळलं असतं, या रितीने तू न माझ्याशी लाजला असतास

येऊन तेव्हा बसलास तू, माझ्यापाशी, संकटात जेव्हा मला नाही पकलडल..?
या रितीने तू न माझ्याशी लाजला असतास,
प्रेमाच गुपित जर न कळलं असतं....

आयुष्याने न्याय नाही केला, नाहीतर, मी न्यायाचा तमाशा दाखवला असता
या रितीने तू न माझ्याशी लाजला असतास,
प्रेमाच गुपित जर न कळलं असतं....

सर्व या गोष्टी आहेत, इच्छेच्या(प्रेमाच्याच)! नाहीतर, या रितीने, तू न माझ्यावर वैतागला असता
या रितीने तू न माझ्याशी लाजला असतास,
प्रेमाच गुपित जर न कळलं असतं....

मी नाही ऐकत, कोणाचीच गोष्ट हसन, हृदय हे, गोष्टी न ऐकवत असता
या रितीने तू न माझ्याशी लाजला असतास,
प्रेमाच गुपित जर न कळलं असतं....

- मीर हस्सन


Sources-
Gazal Written By : Mir Hassan
Gazal Sung By : Abida Parveen
Video Embedded From : Youtube.com
Hindi Structured From : Google.com/transliterate/indic/Hindi
Marathi Structured From : Google.com/transliterate/indic/Marathi
Urdu Words Derived In Marathi Words From : A Book called "आईना-ए-ग़ज़ल"
Published By : Blogger.com
All These Sources Presented By : yog


Saturday, September 12, 2009

जरा सी बात पे वो, जग हसयिया देकर
जरा सी बात पे वो, जग हसयिया देकर
जरा सी बात पे वो, जग हसयिया देकर
चला गया, मुझे कितनी जुदाईया देकर..

जरा सी बात पे वो, जग हसयिया देकर

चलो के हर्फे-तम्मना उसीके नाम करे
चलो के हर्फे-तम्मना उसीके नाम करे
के जिसने कैद किया है, रिहाईया देकर...

जरा सी बात पे वो, जग हसयिया देकर

मगर वहा तो वही खामोशी का पहरा था
मगर वहा तो वही खामोशी का पहरा था
में गया तेरे घरसे, दुहाईया देकर.....

जरा सी बात पे वो, जग हसयिया देकर

अजीब शख्स के वो, मुझसे बदगुमा ही रहा
अजीब शख्स के वो, मुझसे बदगुमा ही रहा
के जिसको पाया था मैंने, खुदाईया देकर

जरा सी बात पे वो, जग हसयिया देकर

हूँ कितना साधा समजता था, बच रहूँगा सफीर
हूँ कितना साधा समजता था, बच रहूँगा सफीर
ख्याल यार को शोला, नवाईया देकर..

जरा सी बात पे वो जग हसयिया देकर
चला गया मुझे कितनी जुदाईया देकर

जरा सी बात पे वो जग हसयिया देकर..

- फैज़ अहमद फैज़

हसयिया- आनंद, उल्हास, उत्साह
जुदाईया- वियोग, विरह
हर्फे-तम्मना- अनिच्छा, इच्छेशिवाय, इच्छा नसताना
रिहाईया- मुक्तता
खामोशी- शांतता, अबोला
पहरा- पहारा, देखरेख
दुहाईया- तक्रारी
अजीब- विचित्र
शख्स- व्यक्ती
बदगुमा- गैरसमज, संशयाने
खुदाईया- संसार, जग
सफीर- पत्रवाहक, संदेश पोचवणारा
ख्याल यार- सखा, सहविचारी, कल्पित मित्र
शोला- जळजळीत,अग्निदाहक
नवाईया- कटू शब्द, कठोर बोलणे



Sources-
Gazal Written By : Faiz Ahmad Faiz
Gazal Sung By : Abida Parveen
Audio Link By : Raaga.com
Video Embedded From : Youtube.com
Picture By : Deviantart.com
Hindi Structured From : Google.com/transliterate/indic/Hindi
Marathi Structured From : Google.com/transliterate/indic/Marathi
Urdu Words Derived In Marathi Words From : A Book called "आईना-ए-ग़ज़ल"
Published By : Blogger.com
All These Sources Presented By : yog



मराठी रुपांतर

जराशा गोष्टीवर तो, जगभरचा आनंद देऊन.. चालला गेला, मला किती विरह देऊन... चला की इच्छेशिवाय त्याच्या नावावर सर्व करावे की ज्याने कैद केले आहे, मुक्तता देऊन.. पण तिथे तर तसाच शांततेचा (अबोलाचा) पहारा होता.. मी येऊन गेलो तुझ्या घरावरून, बोल देऊन.. विचित्र व्यक्तीचे तर, माझ्याशी गैरसमजच राहिले.. की ज्याला मिळवलं होत मी, संसार देऊन.. हुम्म.. किती साधे समजत होतो, वाचून राहील प्रेषक कल्पित मित्राला तिखट कटू शब्द देऊन..