Sunday, January 31, 2010

आबिदा परवीन

रंग बातें करें और बातों से खुशबू आए
दर्द फूलों की तरह महके अगर तू आए

भीग जाती है इस उमीद पे आँखें हर शाम
शायद से रात हो महताब लबेजू आए

हम तेरी याद से कतरा के गुजर जाते मगर
राह में फूलों के लब सायों के गेसू आए

आजमाए इश्क की घडी से गुजर आए तो जिया
जशन-ए-गमदारी हुआ आँख में आंसू आए


Tuesday, January 26, 2010

ग़ालिब

रहिये  अब  ऐसी  जगह  चलकर  जहाँ  कोई  न  हो 
हमसुखन  कोई  न  हो  और  हमज़बाँ  कोई  न  हो 

बेदार -ओ -दीवार  सा  इक  घर  बनाया  चाहिए 
कोई  हमसाया  न  हो  और  पासबाँ  कोई  न  हो 

पड़िए  गर  बीमार  तो  कोई  न  हो  तीमार -दार 
और  अगर  मर  जाइए  तो , नौहा -ख्वाँ  कोई  न  हो 

- ग़ालिब

Saturday, January 9, 2010

एक बस तू ही नहीं मुझसे खफ़ा हो बैठा


एक बस तू ही नहीं मुझसे खफ़ा हो बैठा
मैंने जो संग तराशा वो खुदा हो बैठा

उठ के मंजिल ही अगर आये तो शायद कुछ हो
शौक-ए-मंजिल तो मेरा आबलापा हो बैठा

मस्लहत छीन गयी कुवत-ए-गुफ्तार मगर
कुछ न कहना ही मेरा मेरी सदा हो बैठा

शुक्रिया ऐ मेरे कातिल ऐ मसीहा मेरे
जहर जो तुने दिया था वो दवा हो बैठा

जाने 'शहजाद' को मिनजुम्ला ए आदा पा कर
हुक वो उठी के जी तन से जुदा हो बैठा



- फरहत शहजाद


मराठी अनुरूप 


एक फक्त तूच नाही माझ्याशी नाराज होऊन बसला
मी जो दगड कोरला तो देव होऊन बसला

उठून ध्येयच जर आले तर कदाचित काही घटेल
वांच्छित उद्देश तर माझा अपंग होऊन बसला

हितगुज निसटुन गेली बातचीतची करामत परंतु
काही न बोलण ही माझं, माझा आवाज होऊन बसला

उपकृत ए माझ्या मारका ए संजीवका माझ्या
विष-अग्नी जो तू दिला होता तो जल-अमृत होऊन बसला

'शहजाद' च्या जीवाला एकूण-एक सर्व शत्रू मिळवून
वेदना जी उठली की जीव शरीराहून विभक्त होऊन बसला


- फरहत शहजाद

Thursday, January 7, 2010

फैज़

गुल  हुई  जाती  है  अफसुर्दा  सुलगती  हुई  शाम
गुल  हुई  जाती  है  अफसुर्दा  सुलगती  हुई  शाम
धुल  के  निकलेगी  अभी  चश्म  ए  महताब  से  रात
गुल  हुई  जाती  है  अफसुर्दा  सुलगती  हुई  शाम
गुल  हुई  जाती  है ....
गुल  हुई  जाती  है  अफसुर्दा  सुलगती  हुई  शाम
और  मुश्ताक  निगाहों  की  सुनी  जाएगी
और  मुश्ताक  निगाहों  की  सुनी  जाएगी
और  उन  हाथों  से  मस  होंगे  ये  तरसे  हुए  हाथ
गुल  हुई  जाती  है  अफसुर्दा  सुलगती  हुई  शाम
गुल  हुई  जाती  है....
उनका  आँचल  है  के  रुखसार  के  पैराहन  है
उनका  आँचल  है  के  रुखसार  के  पैराहन  है
कुछ  तो  है  जिस  से  हुई  जाती  है  चिलमन  रंगीन
जाने  उस  ज़ुल्फ़  की  मौहूम  घनी  छावओं  में
टिमटिमाता  है  वो  आवेज़ा  अभी  तक  के  नहीं
गुल  हुई  जाती  है  अफसुर्दा  सुलगती  हुई  शाम
गुल  हुई  जाती  है....
आज  फिर  हुस्न  ए  दिलारा  की  वही  धज  होगी
आज  फिर  हुस्न  ए  दिलारा  की  वही  धज  होगी
वोही  ख्वाबीदा  सी  आँखें  वोही  काजल  की  लकीर
रंग  ए रुखसार  पे  हल्का  सा  वो   गाजे   का  गुबार 
संदली  हाथ  पे  धुंधली  सी  हिना  की  तहरीर
अपने  अफ़्कार  की  अशआर  की  दुनिया  है  यही
जाने  मज़मून  है  यही  शाहिदे  माना  है  यही
अपना  मौजू -ए -सुखन  इनके  सिवा  और  नहीं
तब्बा  शायर  का  वतन  इनके  सिवा  और  नहीं
यह  खूँ  की  महक  है  के  लबे  यार  की  खुशबू
यह  खूँ  की  महक  है....
यह  खूँ  की  महक  है  के  लबे  यार  की  खुशबू
किस  राह  की  - जानिब  से  सबा  आती  है  देखो
गुलशन  में  बहार  आई.... 
गुलशन  में  बहार आई  के  जिंदा  हुआ  आबाद
किस  संद  से  नगमों  की  सदा  आती  है  देखो
गुल  हुई  जाती  है  अफसुर्दा  सुलगती  हुई  शाम
गुल  हुई  जाती  है  अफसुर्दा  सुलगती  हुई  शाम
धुल  के  निकलेगी  अभी  चश्म  ए  महताब  से  रात
गुल  हुई  जाती  है  अफसुर्दा  सुलगती  हुई  शाम
गुल  हुई  जाती  है.....

- फैज़


Tuesday, January 5, 2010

आँखों को इंतज़ार का

आँखों को इंतज़ार का, दे के हुनर चला गया
चाहा था एक शख्स को, जाने किधर चला गया

दिनकी वो महफिलें गयी, रातों के रत जगें गए
कोई समेट कर मेरे, शामो सहर चला गया

झोंका है एक बहार का, रंग-ए-ख्याल-ए-यार भी
हरसू बिखर बिखर गयी खुशबू, जिधर चला गया

उसके ही दम से दिल में आज, धुप भी चांदनी भी है
दे के वो अपनी याद के, शम्सो क़मर चला गया

कूचा-ब-कूचा दर-ब-दर, कब से भटक रहा है दिल
हमको भुला के राह वो, अपनी डगर चला गया


Monday, January 4, 2010

यूँ जिंदगी की राहों में....

यूँ... जिंदगी की राहों में टकरा गया कोई
यूँ जिंदगी की राहों में टकरा गया कोई
यूँ जिंदगी की राहों में....
इक रोशनी अंधेरों में बिखरा गया कोई
यूँ जिंदगी की राहों में टकरा गया कोई
यूँ जिंदगी की राहों में....

वो हादसा वो पहली मुलाक़ात क्या कहूँ, कितनी अजब थी सूरते हालात क्या कहूँ
वो कहर वो गज़ब वो जफा मुझको याद है,
वो उसकी बेरुखी की अदा मुझको याद है,
मिटता नहीं  है जहेन से यूँ छा गया कोई..
यूँ जिंदगी की राहों में टकरा गया कोई..
यूँ जिंदगी की राहों में....

पहले वो मुझको देखकर बरहम सी हो गई,
पहले..वो मुझको देखकर बरहम सी हो गई, फिर अपने ही नसीब खयालों में खो गई
बेचारगी पे मेरे उसे रहम आ गया,
शायद मेरे तड़पने का अंदाज भा गया,
सांसों से भी करीब मेरे आ गया कोई...
यूँ जिंदगी की राहों में टकरा गया कोई..
यूँ जिंदगी की राहों में....

अब उस गिले तबाह की हालत ना पूछिये,
अब उस गिले तबाह की हालत ना पूछिये, बेनाम आरजू की लजत ना पूछिये
इक अजनबी था रूह का अरमान बन गया,
इक हादसा था प्यार का उनवान बन गया,
मंजिल का रास्ता मुझे दिखला गया कोई...
यूँ जिंदगी की राहों में टकरा गया कोई..
यूँ जिंदगी की राहों में....

इक रोशनी अंधेरों में बिखरा गया कोई
यूँ जिंदगी की राहों में टकरा गया कोई


यूँ जिंदगी की राहों में....

कैसर

मेरी  आँखों  को  आँखों  का  किनारा  कौन  दे  गा
समंदर  को  समंदर  में  सहारा  कौन  दे  गा

मेरे  चेहरे  को  चेहरा  कब  इनायत  कर  रहे  हो
तुम्हें  मेरे  सिवा  चेहरा  तुम्हारा  कौन  दे  गा

मुहब्बत  नीला  मौसम  बन  के  आ  जाएगी  इक  दिन
गुलाबी  तितलियों  को  फिर  सहारा  कौन  दे  गा

 
मेरी  आवाज़  में  आवाज़  किस  क़ी  बोलती  है
मेरे  गीतों  को  गीतों  का  किनारा  कौन  दे  गा 




बदन  में  एक  सहरा  जल  रहा  है  बुझ  रहा  है
मेरे  दरयाओं  को  'कैसर'  इशारा  कौन  दे  गा


 - कैसर

Sunday, January 3, 2010

यह जफ़ा-ए-गम

यह जफ़ा-ए-गम का चारा
वोह नजाते दिल का आलम
तेरा हुस्न दस्त-ए-ईसा
तेरी याद रूह-ए-मरियम

दिलों जाँ फ़िदा-ए-राहें
कभी आके देख हमदम
सरकुए दिलफिगारा
शब-ए-आरजू का आलम

यह जफ़ा-ए-गम का चारा.....

तेरी दीद से सिवा हैं
तेरे शौक में बहाराँ
वो चमन जहाँ गिरी है
तेरे गेसूओं की शबनम

यह जफ़ा-ए-गम का चारा ...

लो सुनी गई हमारी
यूँ फिरे है दिल के फिरसे
वोही गोशा ए कफस है
वोही फस्ले गुल का मातम  

यह जफ़ा-ए-गम का चारा....

ये अजब कयामतें है
तेरी राहगुजर में गुजरा
न हुआ के मर मिटे हम
ना हुआ के जी उठे हम

यह जफ़ा-ए-गम का चारा...

- फैज़ अहमद फैज़

 

Saturday, January 2, 2010

कटे नाहि रातें मोरी... पिया तोरे कारन कारन.... पिया तोरे कारन कारन
कटे नाहि रातें मोरी..... पिया तोरे कारन कारन ....
.....पिया तोरे कारन कारन...

कालें कालें बादल छायें... देखि देखि जी ललचाये ....
कालें कालें बादल छायें....  देखि देखि जी ललचाये .... कैसे आऊ पास तिहारे ... दुरी गए मोरे साजन
कैसे आऊ पास तिहारे ... दुरी गए मोरे साजन.....
......दुरी गए मोरे साजन...

कटे नाहि रातें मोरी..... पिया तोरे कारन कारन .... पिया तोरे कारन कारन

भीगा भीगा मौसम आया .... पिया का संदेसा लाया...
भीगा भीगा मौसम आया .... पिया का संदेसा लाया...मनिवा को चैन न आवैं ... तरसें है मोरे नैना 
मनिवा को चैन न आवैं ... तरसें है मोरे नैना 
... तरसें है मोरे नैना  .........

कटे नाहि रातें मोरी..... पिया तोरे कारन कारन .... पिया तोरे कारन कारन

कटे नाहि रातें मोरी... पिया तोरे कारन कारन.... पिया तोरे कारन कारन
.. पिया तोरे कारन कारन ....
.....पिया तोरे कारन कारन...