Sunday, July 25, 2010

तुम्हें दिललगी भूल जानी पड़ेगी.....मोहब्बत की राहों में आकर तो देखो

तड़पने पे मेरे ना फिर तुम हसोगे.. कभी दिल किसी से लगा कर तो देखो
होठों के पास आये हसीं क्या मजाल है..दिल का मुहमल्ला है कोई दिललगी नहीं
जख्म पे जख्म खा के ज़ी अपने लहू के घुट प़ी.. आह ना कर लबों को स़ी..इश्क है दिललगी नहीं

दिल लगाकर पता चलेगा तुम्हें ...आशकी की दिललगी नहीं होती..

 कुछ खेल नहीं है इश्क की लाग....पानी न समझ है आग है आग
खूँ रुलाएगी यह लगी दिलकी..खेल समझो न दिललगी दिलकी
यह इश्क नहीं आसाँ.. बस इतना समझ लीजिये..इक आग का दरया है..और डूब के जाना है

तुम्हें दिललगी भूल जानी पड़ेगी.....मोहब्बत की राहों में आकर तो देखो
मोहब्बत की राहों में आकर तो देखो..तड़पने पे मेरे ना फिर तुम हसोगे..
तड़पने पे मेरे ना फिर तुम हसोगे..कभी दिल किसी से लगा कर तो देखो

Saturday, July 17, 2010

मेरे दिल में तेरी यादों के साए
हवा जैसे खंडहर में सरसराए

हम ही ने सब के गम को अपना जाना
हम ही ने सब के हाथों जख्म पाए

दिल-ए-बेताब की उस्तअद तो देखो
ज़माने भर के इसमें गम समाए

किसीने प्यार से जब भी पुकारा
तो पलकों पर सितारे झिलमिलाए

शब्-ए-फ़ुर्कत हविक आहट पे मुझको
यही धोखा हुआ शायद वो आए

ख़ुशी दी है ज़माने भर को इमदाद
अगरचे उम्रभर आँसू बहाए


http://www.youtube.com/watch?v=TcDqUQzp0xs&feature

Tuesday, July 6, 2010

..आँधी चली ...

जब तक बिका न था....
जब तक बिका न था.. तो कोई पूछता न था
जब तक बिका न था तो कोई पूछता न था
तुने मुझे खरीद कर... अनमोल कर दिया

आँधी चली तो नक़्शे-कफ़-ए-पा नहीं मिला
आँधी चली तो नक़्शे-कफ़-ए-पा नहीं मिला
दिल जिससे मिल गया वो दुबारा नहीं मिला
आँधी चली तो नक़्शे-कफ़-ए-पा नहीं मिला
दिल जिससे मिल गया वो दुबारा नहीं मिला...आँधी चली तो नक़्शे-कफ़-ए-पा नहीं मिला...............

हम अंजुमन में सब की तरफ देखते रहे
हम अंजुमन में सब की तरफ देखते रहे
हम अंजुमन में सब की तरफ देखते रहे....अपनी तरह से कोई अकेला नहीं मिला
अपनी तरह से कोई अकेला नहीं मिला........

दिल जिससे मिल गया वो दुबारा नहीं मिला...आँधी चली तो नक़्शे-कफ़-ए-पा नहीं मिला...........

जो मैं ऐसा जानती.......
जो मैं ऐसा जानती प्रीत की दुख होय
नगर ढंढोरा पिटती.....
नगर ढंढोरा पिटती प्रीत न करियो कोय

आवाज को तो कौन समझता की दूर दूर
आवाज को तो कौन... समझता की दूर दूर.......
खामोशियों का दर्द शनासा नहीं मिला
................खामोशियों का दर्द शनासा नहीं मिला...

दिल जिससे मिल गया वो दुबारा नहीं मिला...आँधी चली तो नक़्शे-कफ़-ए-पा नहीं मिला.................

कच्चे घड़े ने जीत ली....जीत ली.......
कच्चे ...कच्चे..कच्चे...कच्चे घड़े ने जीत ली
कच्चे घड़े ने जीत ली नदी चढ़ी हुई...
मजबूत कश्तियों को किनारा नहीं मिला..
मजबूत कश्तियों को किनारा नहीं मिला....

दिल जिससे मिल गया वो दुबारा नहीं मिला...आँधी चली तो नक़्शे-कफ़-ए-पा नहीं मिला.............

  ..आँधी चली ...


Source :- http://parulchaandpukhraajkaa.blogspot.com

Sunday, July 4, 2010

नसीर

                                                  तर्के-तअल्लुकात पे रोया ना तू न मैं
                                               लेकिन यह क्या के चैन से सोया ना तू न मैं

वो हमसफ़र था मगर उससे हमनवाई न थी                                             
  के धुप छाँव का आलम रहा जुदाई न थी                                                    


                                                कुछ इस अदा से आज वो पहलूनशीं रहे 
                                                      जब तक हमारे पास रहे हम नहीं रहे


अदावतें थी तगाफुल था रंजिशें थी मगर                                                 
बिछड़ने वाले में सब कुछ था बेवफाई न थी                                             



बिछड़ते वक़्त उन आँखों में थी हमारी ग़ज़ल                                           
ग़ज़ल भी वो जो किसी को अभी सुनाई न थी                                             

                                                  काजल दारू किरकिरा सुरमा सहा न जाये 
                                                 जिन नैन में पी बसे दूजा कोन न समाये
किसे पुकार रहा था वो डूबता हुआ दिन                                                      
सदा तो आयी थी लेकिन कोई दुहाई न थी                                                 



  कभी यह हाल के दोनों में यकदिली थी नसीर                                        
कभी यह मर्हल्ला जैसे के आशनाई न थी                                              




- नसीर

Source :- http://parulchaandpukhraajkaa.blogspot.com