Sunday, March 20, 2011

नमी सी है..

शाम से आँख में नमी सी है
आज फिर आपकी कमी सी है

दफ्न कर दो हमें के साँस मिले
नब्ज कुछ देर से थमी सी है

वक़्त रहता नहीं कही टिककर
इसकी आदत भी आदमी सी है

कोई रिश्ता नहीं रहा फिर भी
एक तस्वीर लाजमी सी है