ले चला जान मेरी रूठ के जाना तेरा
ऐसे आने से बेहतर था न आना तेरा
तू जो ऐ जुल्फ परेशान रहा करती है
किसके उजड़े हुए दिल में ठिकाना तेरा
आरजू ही न रहीं सुबह ऐ वतन की मुझको
शाम ऐ ग़ुरबत है अजब वक़्त सुहाना तेरा
अपनी आँखों में अभी कौंध गयी बिजली सी
हम न समझे के यह आना है के जाना तेरा
- दाग देहलवी