तेरे क़रिब रहूँ या के दूर जाऊं मैं
हैं दिल का एक ही आलम तुझ ही को चाहूँ मैं
मैं जानता हूँ वो रखता है चाहतें कितनी
मगर ये बात उसे किस तरह बताऊँ मैं
जो चुप रहा तो वो समझेगा बदगुमान मुझे
बुरा भला ही सही कुछ तो बोल आऊं मैं
फिर इसके बाद ताल्लुक में फ़ासले होंगे
मुझे संभाल के रखना बिछड़ ना जाऊं मैं
मोहब्बतों की परख का यहीं तो रस्ता है
तेरी तलाश में निकलूं तुझे ना पाऊं मैं
हैं दिल का एक ही आलम तुझ ही को चाहूँ मैं
मैं जानता हूँ वो रखता है चाहतें कितनी
मगर ये बात उसे किस तरह बताऊँ मैं
जो चुप रहा तो वो समझेगा बदगुमान मुझे
बुरा भला ही सही कुछ तो बोल आऊं मैं
फिर इसके बाद ताल्लुक में फ़ासले होंगे
मुझे संभाल के रखना बिछड़ ना जाऊं मैं
मोहब्बतों की परख का यहीं तो रस्ता है
तेरी तलाश में निकलूं तुझे ना पाऊं मैं