Friday, September 14, 2012

दिल ही दिल में

दिल ही दिल में ख़त्म होकर धड़कनें रह जाएँगी
वो न आएँगे तो मिटकर चाहतें रह जाएँगी

सब जुदा हो जायेंगे एक मोड़ आ जाने के बाद
ख़्वाब आँखों से छिलेंगे सूरत रह जाएँगी

वो चले जायेंगे मेरी मंज़िलों से भी परे
मेरे सन्नाटें में उनकी आहटें रह जाएँगी

कुछ उदासी और मिल जाएगी मिलकर आपसे
सामना हो जायेगा पर हसरतें रह जाएँगी

हम चराग-ए-अंजुमन बनकर सुलगते जायेंगे
याद कुछ बीतें दिनों की महफिलें रह जाएँगी

3 comments:

  1. बहुत सार्थक प्रस्तुति आपकी अगली पोस्ट का भी हमें इंतजार रहेगा महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाये

    आज की मेरी नई रचना आपके विचारो के इंतजार में
    अर्ज सुनिये

    कृपया आप मेरे ब्लाग कभी अनुसरण करे

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  2. आपको यह बताते हुए हर्ष हो रहा है के आपकी यह विशेष रचना को आदर प्रदान करने हेतु हमने इसे आज के (२८ अप्रैल, २०१३) ब्लॉग बुलेटिन - इंडियन होम रूल मूवमेंट पर स्थान दिया है | हार्दिक बधाई |

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  3. बहुत सुन्दर ग़ज़ल

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