Sunday, August 22, 2010

तुझ लब की सिफत, लाल-ऐ-बदक्शासु कहूँगा..
जादू है तेरे नैन, जादू है तेरे नैन गज़लासु कहूँगा..

जलता हूँ शब-ओ-रोज तेरे गम में ऐ साजन..
ऐ सोज तेरा निसाल-ऐ- सोजासु कहूँगा ..

देखा हूँ तुझे ख्वाब में ऐ माया-ऐ-ख़ुबी
इस ख्वाब को जा उसफ-ऐ-तहनासु कहूँगा..

मुझ पर ना करो जुल्म तुम ऐ लैल-ऐ-खूबा
मजनू हूँ तेरे गम को बयाबासु कहूँगा..

एकनुक्ता तेरे सफा-ऐ-रुख पर नहीं बेजां
इस मुख को सफा-ऐ-ख़ुरासु कहूँगा..

http://www.youtube.com/watch?v=OrrjQi0uS0o

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