Monday, August 15, 2011

शहजाद

गुल  खिले  चाँद  रात  याद  आई 
आपकी  बात  बात  याद  आई

एक  कहानी  की  हो  गयी  तकमील 
एक  सावन  की  रात  याद  आई

अश्क  आँखों  में  फिर  उमड़  आये 
कोई  माज़ी  की  बात  याद  आई

उनकी  महफ़िल  से  लौट  कर  'शहजाद'
रौनक -ए -कायनात  याद  आई

2 comments:

  1. ये लिखा है शहजाद जालंधरी ने दिवा एल्बम में
    न की फरहत शहजाद ने !!

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  2. धन्यवाद जानकारी के लिए

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