रोया करेंगे आप भी पहरों इसी तरह
अटका कहीं जो आप का दिल भी मेरी तरह
ना ताब हिज्र में है ना आराम वस्ल में
कमबख्त दिल को चैन नहीं है किसी तरह
गर चुप रहें तो गमे हिज्राँ से छूट जाएँ
कहते तो हैं भले की वो लेकिन बुरी तरह
न जाए वहां बने है न बिन जाए चैन है
क्या कीजिए हमें तो है मुश्किल सभी तरह
हूँ जाँ बलब बुताने सितमगर के हाथ से
क्या सब जहाँ में जीते हैं मोमिन इसी तरह
- मोमिन खान
Is ghazal ke liye sirf ek hi lafz hai.."SUBHANALLAH"
ReplyDeleteMakta mastach aahe
ReplyDeletethanks Neeraj & Indraneel..
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