गले लगा है वो मस्ते शबाब बरसों में
हुआ है दिल को सुरुरे शराब बरसों में
खुदा करे के मजा इन्तजार का न मिटे
मेरे सवाल का वो दे जवाब बरसों में
बचेंगे हज़रते जाहिद कहीं बगैर पिए
हमारे हाथ लगे है जनाब बरसों में
न क्यूँ हो नाज मुझे अपने दिल पे ओ जालिम
किया है तु ने मुझे इन्तखाब बरसों में
वो ग़ोले दाग सूरत को हम तरसते हैं
मिला है आज वो खाना-ख़राब बरसों में
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