Wednesday, August 12, 2009

गालिब

खुशबु का कोई झोंका हो तो
सांसो से जंजीर करू..
खुशबु का कोई झोंका हो तो
सांसो से जंजीर करू..

इतने ख्वाब आँखों आँखों
किस किस की ताबीर करू..
खुशबु का कोई झोंका हो तो
सांसो से जंजीर करू..

जिसके साए में बैठू तो
सारे गम बेगाने हो..

जिसके साए में बैठू तो
सारे गम बेगाने हो..
बेगाने हो..
पहले हर दीवार गिराऊ
फिर वो घर तामीर करू...
इतने ख्वाब आँखों आँखों
किस किस की ताबीर करू..

खुशबु का कोई झोंका हो तो
सांसो से जंजीर करू..

तुमने कुछ पूछा था मुज़से
और में अब तक सोचता हूँ ...

तुमने कुछ पूछा था मुज़से
और में अब तक सोचता हूँ ...
सोचता हूँ ...
कितने जख्म छुपाकर रखूं....
कितने गम तहरीर करू...
इतने ख्वाब आँखों आँखों
किस किस की ताबीर करू..

खुशबु का कोई झोंका हो तो
सांसो से जंजीर करू..

हर वो बयां की दुःख नगरी में
आया हूँ तो चाहता हूँ

हर वो बयां की दुःख नगरी में
आया हूँ तो चाहता हूँ
चाहता हूँ........
पहले श उर ए गालिब लाऊं
फिर तक़दीर ए निर करू...
इतने ख्वाब आँखों आँखों
किस किस की ताबीर करू..

खुशबु का कोई झोंका हो तो
सांसो से जंजीर करू..
इतने ख्वाब आँखों आँखों
किस किस की ताबीर करू..

खुशबु का कोई झोंका हो तो
सांसो से जंजीर करू..

-गालिब



गालिब


सुगंधाची कोण झुळूक असेल तर, श्वासांनी साखळी करू..
इतके स्वप्न डोळ्यां-डोळ्यांत, कोण-कोणाची पूर्ती करू..


ज्याच्या
छायेत मी बसू, तर सगळी दु: परकी होत..
पहिले प्रत्येक भिंत पाडत, परत ते घर चिरेबंदी करू..


तू
काही प्रश्नावले होते मला आणि मी आता पर्यंत चिंतीतोय...
किती जखमा लपवून ठेऊ...किती दु:ख अक्षरी करू..

दर
त्या कथेच्या शोकनगरीत आलो आहे तर इच्छितोय.
इच्छितोय
...
प्रथम
संवेदना गालिब आणू, मग एकांतात डोळे निखळती करू..


सुगंधाची
कोण झुळूक असेल
तर
श्वासांनी साखळी करू..


-गालिब

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