Tuesday, July 6, 2010

..आँधी चली ...

जब तक बिका न था....
जब तक बिका न था.. तो कोई पूछता न था
जब तक बिका न था तो कोई पूछता न था
तुने मुझे खरीद कर... अनमोल कर दिया

आँधी चली तो नक़्शे-कफ़-ए-पा नहीं मिला
आँधी चली तो नक़्शे-कफ़-ए-पा नहीं मिला
दिल जिससे मिल गया वो दुबारा नहीं मिला
आँधी चली तो नक़्शे-कफ़-ए-पा नहीं मिला
दिल जिससे मिल गया वो दुबारा नहीं मिला...आँधी चली तो नक़्शे-कफ़-ए-पा नहीं मिला...............

हम अंजुमन में सब की तरफ देखते रहे
हम अंजुमन में सब की तरफ देखते रहे
हम अंजुमन में सब की तरफ देखते रहे....अपनी तरह से कोई अकेला नहीं मिला
अपनी तरह से कोई अकेला नहीं मिला........

दिल जिससे मिल गया वो दुबारा नहीं मिला...आँधी चली तो नक़्शे-कफ़-ए-पा नहीं मिला...........

जो मैं ऐसा जानती.......
जो मैं ऐसा जानती प्रीत की दुख होय
नगर ढंढोरा पिटती.....
नगर ढंढोरा पिटती प्रीत न करियो कोय

आवाज को तो कौन समझता की दूर दूर
आवाज को तो कौन... समझता की दूर दूर.......
खामोशियों का दर्द शनासा नहीं मिला
................खामोशियों का दर्द शनासा नहीं मिला...

दिल जिससे मिल गया वो दुबारा नहीं मिला...आँधी चली तो नक़्शे-कफ़-ए-पा नहीं मिला.................

कच्चे घड़े ने जीत ली....जीत ली.......
कच्चे ...कच्चे..कच्चे...कच्चे घड़े ने जीत ली
कच्चे घड़े ने जीत ली नदी चढ़ी हुई...
मजबूत कश्तियों को किनारा नहीं मिला..
मजबूत कश्तियों को किनारा नहीं मिला....

दिल जिससे मिल गया वो दुबारा नहीं मिला...आँधी चली तो नक़्शे-कफ़-ए-पा नहीं मिला.............

  ..आँधी चली ...


Source :- http://parulchaandpukhraajkaa.blogspot.com

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