Wednesday, April 6, 2011

तू क्या है

हर एक बात पे कहते हो तुम के 'तू क्या है'
तुम ही कहो के यह अंदाजे-गुफ्तगू क्या है

जला है जिस्म जहाँ दिल भी जल गया होगा
कुरेदते हो जो अब राख़ जुस्तजू क्या है

न शोलें में यह करिश्मा न बर्क में ये अदा
कोई बताओ के वोह शोखे -तुन्द खू क्या है

रगों में दौड़ते फिरने के हम नहीं कायल
जब आँख ही से न टपका तो फिर लहू क्या है

रही न ताक़ते-गुफ्तार और अगर हो भी
तो किस उम्मीद पे कहिये के आरज़ू क्या है

वोह चीज़ जिसके लिए हमको हो बहिश्त अज़ीज़
सिवाए बाड़े -गुल फामे-मुश्कबू  क्या  है

यह रश्क है के वो होता है हम सुखन तुमसे
वगरना खौफे-बाद आमोज़ी-ए-अदू क्या है

हुआ है शाह का मुसाहिब फिरे है इतराता
वगरना शहर में 'ग़ालिब' की आबरू क्या है

-ग़ालिब

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