खुदा ही जाने यार आए न आए
मेरे दिल को करार आए न आए
जवानी में अगर तोबा भी कर ले
किसी को इतबार आए न आए
वो आए भी तो अब शिद्दत-ए-दर्द
खुदा जाने करार आए न आए
इबादत तो है पीरी में भी मुमकिन
जवानी बार बार आए न आए
मेरे दिल को करार आए न आए
जवानी में अगर तोबा भी कर ले
किसी को इतबार आए न आए
वो आए भी तो अब शिद्दत-ए-दर्द
खुदा जाने करार आए न आए
इबादत तो है पीरी में भी मुमकिन
जवानी बार बार आए न आए
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