Thursday, March 1, 2012

पुछा  किसी  ने  हाल  किसी  का  तो  रो  दिए
पानी  में  अक्स  चाँद  का  देखा  तो  रो  दिए

नग़मा  किसी  ने  साज़  पर  छेड़ा  तो  रो  दिए
घुंचा  किसी  ने  शाख  से  तोड़ा  तो  रो  दिए

उड़ता  हुवा  ग़ुबार  सर -ए -राह  देख  कर
अंजाम  हम  ने  इश्क  का  सोचा  तो  रो  दिए

बादल  फिजा  में  आप  की  तस्वीर  बन  गई
साया  कोई  खयाल  से  गुज़रा  तो  रो  दिए

रंग -ए -शफक  से  आग  शागुफों  में  लग  गई
सगहर  हमारे  हाथ  से  छलका  तो  रो  दिए

3 comments:

  1. नग़मा किसी ने साज़ पे छेड़ा तो रो दिये
    ग़ुंचा किसी ने शाख़ से तोड़ा तो रो दिये

    ख़ूब,,,बहुत ख़ूब !!!

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  2. thank u Indraneel and Ismat Saab..

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