पुछा किसी ने हाल किसी का तो रो दिए
पानी में अक्स चाँद का देखा तो रो दिए
नग़मा किसी ने साज़ पर छेड़ा तो रो दिए
घुंचा किसी ने शाख से तोड़ा तो रो दिए
उड़ता हुवा ग़ुबार सर -ए -राह देख कर
अंजाम हम ने इश्क का सोचा तो रो दिए
बादल फिजा में आप की तस्वीर बन गई
साया कोई खयाल से गुज़रा तो रो दिए
रंग -ए -शफक से आग शागुफों में लग गई
सगहर हमारे हाथ से छलका तो रो दिए
पानी में अक्स चाँद का देखा तो रो दिए
नग़मा किसी ने साज़ पर छेड़ा तो रो दिए
घुंचा किसी ने शाख से तोड़ा तो रो दिए
उड़ता हुवा ग़ुबार सर -ए -राह देख कर
अंजाम हम ने इश्क का सोचा तो रो दिए
बादल फिजा में आप की तस्वीर बन गई
साया कोई खयाल से गुज़रा तो रो दिए
रंग -ए -शफक से आग शागुफों में लग गई
सगहर हमारे हाथ से छलका तो रो दिए
Once again nice ghazal!!!
ReplyDeleteनग़मा किसी ने साज़ पे छेड़ा तो रो दिये
ReplyDeleteग़ुंचा किसी ने शाख़ से तोड़ा तो रो दिये
ख़ूब,,,बहुत ख़ूब !!!
thank u Indraneel and Ismat Saab..
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