Sunday, January 3, 2010

यह जफ़ा-ए-गम

यह जफ़ा-ए-गम का चारा
वोह नजाते दिल का आलम
तेरा हुस्न दस्त-ए-ईसा
तेरी याद रूह-ए-मरियम

दिलों जाँ फ़िदा-ए-राहें
कभी आके देख हमदम
सरकुए दिलफिगारा
शब-ए-आरजू का आलम

यह जफ़ा-ए-गम का चारा.....

तेरी दीद से सिवा हैं
तेरे शौक में बहाराँ
वो चमन जहाँ गिरी है
तेरे गेसूओं की शबनम

यह जफ़ा-ए-गम का चारा ...

लो सुनी गई हमारी
यूँ फिरे है दिल के फिरसे
वोही गोशा ए कफस है
वोही फस्ले गुल का मातम  

यह जफ़ा-ए-गम का चारा....

ये अजब कयामतें है
तेरी राहगुजर में गुजरा
न हुआ के मर मिटे हम
ना हुआ के जी उठे हम

यह जफ़ा-ए-गम का चारा...

- फैज़ अहमद फैज़

 

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