Monday, June 21, 2010

कुछ देर तक......

कुछ देर तक...... कुछ दूर तक.......... तो साथ चलो..........
माना जिंदगी है तनहा सफ़र..... इल्तजा यही है जाने जिगर

मुझको फ़िक्र है आगाज़ की..... देखो ना सपना अंजाम का..... सदियों की बेताबियाँ खत्म हो.... इक पल मिले जो आराम का............

रहता नहीं संग कोई सदा...... जाने वफ़ा है मुझको पता ... दो चार लम्हा रहो तुम रूबरू..... दिल तुमसे कहना यही चाहता ......
कुछ देर तक...... कुछ दूर तक.......... तो साथ चलो................
माना जिंदगी है तनहा सफ़र..... इल्तजा यही है जाने जिगर

कुछ देर तक...... कुछ दूर तक.......... तो साथ चलो..........
साथ चलो..........
कुछ देर तक...... कुछ दूर तक.......... तो साथ चलो....

3 comments:

  1. आपके प्रतिक्रिया के लिए धन्यवाद जी

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  2. लाजवाब .....💐💐💐👏

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