Sunday, April 18, 2010

फिर मुझे दीदा-ए-तर याद आया
दिल जिगर तशना-ए-फ़रियाद आया

दम लिया था न क़यामत ने हनोज
फिर तेरा वक़्त-ए-सफ़र याद आया

जिंदगी यूँ भी गुजर ही जाती
क्यों तेरा राहगुजर याद आया

कोई वीरानी सी वीरानी है
दश्त को देख के घर याद आया

हमने मजनू पे लड़कपन में असद
संग उठाया था के सर याद आया

- 'असद' ग़ालिब