Monday, August 31, 2009

जब जाने हजी वक़्त पे आलाम हुई
वो साथ कैसे कैसे बदनाम हुई
जब जाने हजी वक़्त पे आलाम हुई...

हाय वो कैसा ख्वाब था, बरसो बीत गए..
हाय वो कैसा ख्वाब था, बरसो बीत गए
जबसे आंखे खोली, नींद हराम हुई..
जब जाने हजी वक़्त पे आलाम हुई...

कौन पुकारेगा यूँ, तुझको देख नजअ
कौन पुकारेगा यूँ, तुझको देख नजअ
दिल की एक एक धड़कन तेरा नाम हुई....
जब जाने हजी वक़्त पे आलाम हुई...

तेरी खातिर तेरा नाम लेते थे
तेरी खातिर तेरा नाम लेते थे...
लेकिन चुप की बात ,
बहोत बदनाम हुई..
जब जाने हजी वक़्त पे आलाम हुई...

वो साथ कैसे कैसे बदनाम हुई
जब जाने हजी वक़्त पे आलाम हुई...



हजी- दुखी, पीडित,
आलाम- क्लेश, दुख
हराम- निषिद्ध
नजअ- शेवटचा श्वास




मराठी रुपांतर

जेव्हा ए व्याकुळ हृदया अगदी वेळेवर पीडा झाली
ती साथ कशी कशी अपमानित झाली..
जेव्हा ए व्याकुळ हृदया अगदी वेळेवर पीडा झाली

हाय ते कसे स्वप्न होते, वर्षे लोटून गेली..
हाय ते कसे स्वप्न होते, वर्षे लोटून गेली..
जेव्हापासून डोळे उघडले, झोप निषिद्ध झाली..
जेव्हा ए व्याकुळ हृदया अगदी वेळेवर पीडा झाली

कोण आळवेल असच, तुला बघ शेवटचा श्वास
कोण आळवेल असच, तुला बघ शेवटचा श्वास
हृदयाची एक एक स्पंदन तुझे नाव झाली..
जेव्हा ए व्याकुळ हृदया अगदी वेळेवर पीडा झाली

तुझ्याखातर तुझे नाव नाही घेत होते..
तुझ्याखातर तुझे नाव नाही घेत होते..
पण गप्प ची गोष्ट ,
खुप अपमानित झाली....

जेव्हा ए व्याकुळ हृदया अगदी वेळेवर पीडा झाली


ती साथ कशी कशी अपमानित झाली..

जेव्हा ए व्याकुळ हृदया अगदी वेळेवर पीडा झाली

Wednesday, August 12, 2009

गालिब

खुशबु का कोई झोंका हो तो
सांसो से जंजीर करू..
खुशबु का कोई झोंका हो तो
सांसो से जंजीर करू..

इतने ख्वाब आँखों आँखों
किस किस की ताबीर करू..
खुशबु का कोई झोंका हो तो
सांसो से जंजीर करू..

जिसके साए में बैठू तो
सारे गम बेगाने हो..

जिसके साए में बैठू तो
सारे गम बेगाने हो..
बेगाने हो..
पहले हर दीवार गिराऊ
फिर वो घर तामीर करू...
इतने ख्वाब आँखों आँखों
किस किस की ताबीर करू..

खुशबु का कोई झोंका हो तो
सांसो से जंजीर करू..

तुमने कुछ पूछा था मुज़से
और में अब तक सोचता हूँ ...

तुमने कुछ पूछा था मुज़से
और में अब तक सोचता हूँ ...
सोचता हूँ ...
कितने जख्म छुपाकर रखूं....
कितने गम तहरीर करू...
इतने ख्वाब आँखों आँखों
किस किस की ताबीर करू..

खुशबु का कोई झोंका हो तो
सांसो से जंजीर करू..

हर वो बयां की दुःख नगरी में
आया हूँ तो चाहता हूँ

हर वो बयां की दुःख नगरी में
आया हूँ तो चाहता हूँ
चाहता हूँ........
पहले श उर ए गालिब लाऊं
फिर तक़दीर ए निर करू...
इतने ख्वाब आँखों आँखों
किस किस की ताबीर करू..

खुशबु का कोई झोंका हो तो
सांसो से जंजीर करू..
इतने ख्वाब आँखों आँखों
किस किस की ताबीर करू..

खुशबु का कोई झोंका हो तो
सांसो से जंजीर करू..

-गालिब



गालिब


सुगंधाची कोण झुळूक असेल तर, श्वासांनी साखळी करू..
इतके स्वप्न डोळ्यां-डोळ्यांत, कोण-कोणाची पूर्ती करू..


ज्याच्या
छायेत मी बसू, तर सगळी दु: परकी होत..
पहिले प्रत्येक भिंत पाडत, परत ते घर चिरेबंदी करू..


तू
काही प्रश्नावले होते मला आणि मी आता पर्यंत चिंतीतोय...
किती जखमा लपवून ठेऊ...किती दु:ख अक्षरी करू..

दर
त्या कथेच्या शोकनगरीत आलो आहे तर इच्छितोय.
इच्छितोय
...
प्रथम
संवेदना गालिब आणू, मग एकांतात डोळे निखळती करू..


सुगंधाची
कोण झुळूक असेल
तर
श्वासांनी साखळी करू..


-गालिब

Sunday, August 2, 2009


अभी जाओ छोड़ कर
के दिल अभी भरा नहीं..

अभी ना जाओ छोड़ कर ..के दिल अभी भरा नहीं..

अभी अभी तो आई हो
अभी अभी तो...
अभी अभी तो आई हो बहार बनके छाई हो
हवा जरा महक तो ले....
नजर जरा बहक तो ले
यह शाम ढल तो ले जरा

यह शाम ढल तो ले जरा
यह दिल संभल तो ले जरा
में थोडी देर जी तो लू नशे के घूंट पी तो लू
नशे के घूंट पी तो लू ......
अभी तो कुछ कहा नहीं
अभी तो कुछ सुना नहीं...

अभी जाओ छोड़ कर
के दिल अभी भरा नहीं..

सितारे झिलमिला उठे
सितारे झिलमिला उठे ...चराग ज़गमागा उठे
बस अब ना मुजको टोकना ....

बस अब ना मुजको टोकना
बढ़के राह रोकना
अगर में रुक गयी अभी
तो जा पायुंगी कभी
यही कहोगे तुम सदा
के दिल अभी नहीं भरा..
जो ख़त्म हो किसी जगह
यह ऐसा सिलसिला नहीं

अभी नहीं.. अभी नहीं...

नहीं ... नहीं... नहीं.. नहीं

अभी जाओ छोड़ कर
के दिल अभी भरा नहीं..

अधूरी आस..
अधूरी आस छोडके
अधूरी प्यास छोडके
जो रोज युही जाओगी
तो किस तरह निभाओगी
के जिंदगी की राह में
जवान दिलो की चाह में
कई मकाम आएँगे
जो हमको आजमाएँगे
बुरा ना मनो बात का
यह प्यार है गिला नहीं...

हां.. यही कहोगे तुम सदा
के दिल अभी भरा नहीं..

हां..दिल अभी भरा नहीं..

नहीं ... नहीं... नहीं.. नहीं