दिल की बात लबों पर ला कर अब तक हम दुःख सहते है
हम ने सुना था इस बस्ती में दिलवाले भी रहते है
एक हमे आवारा कहना कोई बड़ा इल्जाम नहीं
दुनिया वाले दिलवालों को और बहोत कुछ कहते है
बीत गया सावन का महिना मौसम ने नजरे बदले
लेकिन इन प्यासी आँखों से अब तक आंसू बहते है
जिन की खातिर शहर भी छोड़ा, जिन के लिए बदनाम हुए
आज वो भी हम से बेगाने बेगाने से रहते है
वो जो अभी इस राहगुजर से चाक ए गिरेबाँ गुजरा था
उस आवारा दीवाने को जालिब जालिब कहते है
हम ने सुना था इस बस्ती में दिलवाले भी रहते है
एक हमे आवारा कहना कोई बड़ा इल्जाम नहीं
दुनिया वाले दिलवालों को और बहोत कुछ कहते है
बीत गया सावन का महिना मौसम ने नजरे बदले
लेकिन इन प्यासी आँखों से अब तक आंसू बहते है
जिन की खातिर शहर भी छोड़ा, जिन के लिए बदनाम हुए
आज वो भी हम से बेगाने बेगाने से रहते है
वो जो अभी इस राहगुजर से चाक ए गिरेबाँ गुजरा था
उस आवारा दीवाने को जालिब जालिब कहते है
-जालिब
वा.
ReplyDeletedhanywad..yat maz kahich nahi..
ReplyDeletehe gazal chi kimya aste..