हमने अपने भी आजमाए है
लोग काँटों से बच के चलते है
हमने फूलों से जख्म खाए है
किस का क्या जो कदमों पर जब इन्हें बंदगी रख दी
हमारी चीज़ थी हमने जानी वहा रख दी
जो दिल माँगा तो वो बोले के ठहरो याद करने दो
जरा सी चीज़ थी हमने खुदा जाने कहा रख दी
संग हर शख्श ने उठाया रखा है
जब से तु ने मुझे दीवाना बना रखा है
जब से तु ने मुझे दीवाना बना रखा है
निगाह नाज़ से पूछेंगे किस दिन यह जहीन ...तू ने क्या क्या न बनाया तो ये क्या क्या न बना
उसके दिल पर भी कड़ी इश्क में गुजरी होगी
नाम जिसने भी मुहब्बत का सजा रखा है
नाम जिसने भी मुहब्बत का सजा रखा है
आ पिया मोरे नैन में...मैं पलक ढाँक तोहे लूँ... ना मैं देखूं और को और न तोहे देखन दूँ
पत्थरों.. आज मेरे सर पे बरसते क्यूँ हो
दुनिया बड़ी बावरी पत्थर पूजने जाये..घरकी चक्की कोई न पूजे जिसका पिसा खाए मैंने तुमको भी कभी अपना खुदा रखा है
अब मेरे दीद की दुनिया भी तमाशाई है
तुने क्या मुझके मुहब्बत में बना रखा है
तुने क्या मुझके मुहब्बत में बना रखा है
नदी किनारे धुँआ उठे मैं जानू कुछ होय..जिस कारन मैं जोगन बनी कही वो ही न जलता होय..
पि जा अय्याम की कल्बी को भी हसके नासीर
हम को सहने में भी कुदरत ने मजा रखा है
हम को सहने में भी कुदरत ने मजा रखा है
जब से तु ने मुझे दीवाना बना रखा है............
interesting blog
ReplyDeletethankx,.
ReplyDeleteक्या बात.....
ReplyDeletethanks and welcome here..
ReplyDeleteआपण नाशिकमधे रहाता काय ?
ReplyDeleteho mi nasikla asto ..
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