Thursday, December 17, 2009


इश्क में गैरते-ज़ज्बात ने रोने न दिया
वरना क्या बात थी जिस बात ने रोने न दिया

आप कहते थे के रोने से न बदलेंगे नसीब
उम्र भर आप के इस बात ने रोने न दिया

रोने वालों से कहो उनका भी रोना रो लें
जिनको मज़बूरी-ए-हालात ने रोने न दिया

तुझसे मिलकर हमें रोना था, बहुत रोना था
तंगी-ए-वक़्त-ए-मुलाक़ात ने रोने न दिया

एक दो रोज का रोना हो तो रो लें 'फ़ाकिर'
हमको हर रोज के सदमात ने रोने न दिया

- सुदर्शन फ़ाकिर

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