Sunday, December 13, 2009

यूँ सजा चाँद



यूँ सजा चाँद के छलका तेरे अंदाज का रंग
यूँ फिज़ा महकी के बदला मेरे हमराज का रंग

साया-ए-चश्म में हैरां रुख-ए-रोशन का जमाल
सुर्खि-ए-लब में परीशां तेरी आवाज का रंग

बे पिए हूँ के अगर लुत्फ़ करो आखिर-ए-शब
शीशा-ओ-मय में ढलें सुबह के आगाज का रंग

चंग-ओ-नै, रंग पे थे अपने लहू के दम से
दिल ने लय बदली तो मद्धम हुआ हर साज का रंग

- फैज़ अहमद फैज़

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