यह जफ़ा-ए-गम का चारा
वोह नजाते दिल का आलम
तेरा हुस्न दस्त-ए-ईसा
तेरी याद रूह-ए-मरियम
दिलों जाँ फ़िदा-ए-राहें
कभी आके देख हमदम
सरकुए दिलफिगारा
शब-ए-आरजू का आलम
यह जफ़ा-ए-गम का चारा.....
तेरी दीद से सिवा हैं
तेरे शौक में बहाराँ
वो चमन जहाँ गिरी है
तेरे गेसूओं की शबनम
यह जफ़ा-ए-गम का चारा ...
लो सुनी गई हमारी
यूँ फिरे है दिल के फिरसे
वोही गोशा ए कफस है
वोही फस्ले गुल का मातम
यह जफ़ा-ए-गम का चारा....
ये अजब कयामतें है
तेरी राहगुजर में गुजरा
न हुआ के मर मिटे हम
ना हुआ के जी उठे हम
यह जफ़ा-ए-गम का चारा...
वोह नजाते दिल का आलम
तेरा हुस्न दस्त-ए-ईसा
तेरी याद रूह-ए-मरियम
दिलों जाँ फ़िदा-ए-राहें
कभी आके देख हमदम
सरकुए दिलफिगारा
शब-ए-आरजू का आलम
यह जफ़ा-ए-गम का चारा.....
तेरी दीद से सिवा हैं
तेरे शौक में बहाराँ
वो चमन जहाँ गिरी है
तेरे गेसूओं की शबनम
यह जफ़ा-ए-गम का चारा ...
लो सुनी गई हमारी
यूँ फिरे है दिल के फिरसे
वोही गोशा ए कफस है
वोही फस्ले गुल का मातम
यह जफ़ा-ए-गम का चारा....
ये अजब कयामतें है
तेरी राहगुजर में गुजरा
न हुआ के मर मिटे हम
ना हुआ के जी उठे हम
यह जफ़ा-ए-गम का चारा...
- फैज़ अहमद फैज़
No comments:
Post a Comment