Monday, January 4, 2010

यूँ जिंदगी की राहों में....

यूँ... जिंदगी की राहों में टकरा गया कोई
यूँ जिंदगी की राहों में टकरा गया कोई
यूँ जिंदगी की राहों में....
इक रोशनी अंधेरों में बिखरा गया कोई
यूँ जिंदगी की राहों में टकरा गया कोई
यूँ जिंदगी की राहों में....

वो हादसा वो पहली मुलाक़ात क्या कहूँ, कितनी अजब थी सूरते हालात क्या कहूँ
वो कहर वो गज़ब वो जफा मुझको याद है,
वो उसकी बेरुखी की अदा मुझको याद है,
मिटता नहीं  है जहेन से यूँ छा गया कोई..
यूँ जिंदगी की राहों में टकरा गया कोई..
यूँ जिंदगी की राहों में....

पहले वो मुझको देखकर बरहम सी हो गई,
पहले..वो मुझको देखकर बरहम सी हो गई, फिर अपने ही नसीब खयालों में खो गई
बेचारगी पे मेरे उसे रहम आ गया,
शायद मेरे तड़पने का अंदाज भा गया,
सांसों से भी करीब मेरे आ गया कोई...
यूँ जिंदगी की राहों में टकरा गया कोई..
यूँ जिंदगी की राहों में....

अब उस गिले तबाह की हालत ना पूछिये,
अब उस गिले तबाह की हालत ना पूछिये, बेनाम आरजू की लजत ना पूछिये
इक अजनबी था रूह का अरमान बन गया,
इक हादसा था प्यार का उनवान बन गया,
मंजिल का रास्ता मुझे दिखला गया कोई...
यूँ जिंदगी की राहों में टकरा गया कोई..
यूँ जिंदगी की राहों में....

इक रोशनी अंधेरों में बिखरा गया कोई
यूँ जिंदगी की राहों में टकरा गया कोई


यूँ जिंदगी की राहों में....

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