अभी से कैसे कहूँ ....तुमको बेवफा साहब
अभी से कैसे कहूँ तुमको बेवफा साहब
अभी तो अपने सफ़र की है इब्तदा साहब
न जाने कितने लकब दे रहा है दिल तुमको
हुजुर जाने वफ़ा और हम नवाँ साहब
तुम्हारी याद में तारे शुमार करती हूँ
न जाने खत्म कहाँ हो यह सिलसिला साहब
तुम्हारा चेहरा मेरे अख्स से उभरता है
न जाने कौन बदलता है आइना साहब
अभी से कैसे कहूँ तुमको बेवफा साहब
अभी तो अपने सफ़र की है इब्तदा साहब
न जाने कितने लकब दे रहा है दिल तुमको
हुजुर जाने वफ़ा और हम नवाँ साहब
तुम्हारी याद में तारे शुमार करती हूँ
न जाने खत्म कहाँ हो यह सिलसिला साहब
तुम्हारा चेहरा मेरे अख्स से उभरता है
न जाने कौन बदलता है आइना साहब
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