Tuesday, April 26, 2011

नजर मिला के मेरे पास आ के लूट लिया
नजर हटी थी के फिर मुस्कुरा के लूट लिया

दुहाई है मेरे अलाह की दुहाई है 
किसी ने मुझ से मुझी को छुपा के लूट लिया

सलाम उस पे के जिस ने उठा के पर्दा-ए-दिल
मुझी में रह के मुझी में समां के लूट लिया

यहाँ तो खुद तेरी हस्ती है इश्क को दरकार
वो और होंगे जिन्हें मुस्कुरा के लूट लिया

निगाह डाल दी जिस पर हसीं आँखों ने
उसे भी हुस्न-ए-मुजस्सम बना के लूट लिया
  

- जिगर मुरादाबादी

3 comments:

  1. सलाम उस पे कि जिसने उठा के पर्दा ए दिल
    मुझी में रह के,मुझी में समा के लूट लिया

    निगाह दाल दी जिस पर हसीन आँखों ने
    उसे भी हुस्न ए मुजस्सम बना के लूट लिया

    दोनों शेर
    काबिल ए ज़िक्र हैं ....
    शुक्रिया .

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  2. कृपया
    ऊपर
    "दाल" की जगह "डाल" पढ़ें
    टंकण त्रुटि है .

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  3. धन्यवाद दानिश

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