जिंदगी से यही गिला है मुझे
तू बहोत देर से मिला है मुझे
हमसफ़र चाहिए हुजूम नहीं
एक मुसाफिर भी काफ़िला है मुझे
दिल धडकता नहीं सुलगता है
वो जो ख्वाइश थी आबला है मुझे
लब कुषा हूँ तो इस यकीन के साथ
क़त्ल होने का हौसला है मुझे
कौन जाने के चाहतो में 'फ़राज़'
क्या गवायाँ क्या मिला है मुझे
- अहमद फ़राज़
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