Wednesday, June 20, 2012

बरसों में..

गले लगा है वो मस्ते शबाब बरसों में
हुआ है दिल को सुरुरे शराब बरसों में

खुदा करे के मजा इन्तजार का न मिटे
मेरे सवाल का वो दे जवाब बरसों में

बचेंगे हज़रते जाहिद कहीं बगैर पिए 
हमारे हाथ लगे है जनाब बरसों में

न क्यूँ हो नाज मुझे अपने दिल पे ओ जालिम
किया है तु ने मुझे इन्तखाब बरसों में

वो ग़ोले दाग सूरत को हम तरसते हैं
मिला है आज वो खाना-ख़राब बरसों में

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