तनहा.. तनहा.. मत सोचा कर.
तनहा तनहा मत सोचा कर..
मर जायेगा मर जायेगा.. मत सोचा कर..
प्यार घडी भर का ही बहोत है..
झुटा.. सच्चा.. मत सोचा कर...
जिसकी फ़ितरत ही डंसना हो..
वो तो डंसेगा मत सोचा कर..
धुप में तनहा कर जाता
क्यूँ यह साया मत सोचा कर..
अपना आप गवाँ कर तुने,
पाया है क्या मत सोचा कर
राह कठिन और धूपे कडी है
कोन आयेगा मत सोचा कर..
ख्वाब, हकीकत या अफसाना
क्या है दुनिया मत सोचा कर
मूँद ले आँखें और चले चल....
मंजिल रास्ता.. मत सोचा कर
दुनिया के गम साथ हैं.. तेरे
खुद को तनहा, मत सोचा कर
जी ना, दोबहर हो जायेगा
जानां. इतना मत सोचा कर
मान मेरे शहजाद वगरना
पछताएगा मत सोचा कर...
-फरहत शहजाद
मेरी पसंदीदा ग़ज़लों में से एक है।
ReplyDeleteधन्यवाद दिनेशरायजी
ReplyDeleteमुझे भी बहोत पसंद है ये ग़ज़ल..
और भी पसंदीदा ग़ज़ल बताइए , उससे में और अच्छे-अच्छे ग़ज़ल का Collection कर सकूँ..
तन्हा तेरी मातम मे नहीं शाम सियह पोश
ReplyDeleteरेहता है सदा चाक गिरेबाने सहर भी
"सौदा" तेरी फ़्रर्याद स्व ऑंखोमे कटी रात
आई हत सहर होने को टुक तो कही मर भी
कुछ तो दुनियाकी इनायत ने दिल तोड़ दिया
ReplyDeleteऔर कुछ तल्ख़ी-ए-हालात ने दिल तोड़ दिया
दिल तो रोता रहे और ऑंखोसे ऑंसू न बहे
इश्क की ऐसी रवायत ने दिल तो़ड़ दिया