दिल मगर कम किसीसे मिलता हैं..
वो कुछ इस सादगी से मिलता हैं..
आज क्या बात है के फुलोंका
रंग तेरी हँसी से मिलता हैं..
मिलके भी जो कभी नहीं मिलता
टूट कर दिल उसीसे मिलता हैं..
टूट कर दिल उसीसे मिलता हैं..
रूह को भी मजा मोहबत का
दिल की हमसाएगी से मिलता हैं..
सिलसिला फितन-ए-क़यामत का
तेरी खुश-क़ीमती से मिलता हैं..
तेरी खुश-क़ीमती से मिलता हैं..
कारोबारें जहाँ सँवरते हैं..
होश जब बेखुदी से मिलता हैं..
होश जब बेखुदी से मिलता हैं..
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