Tuesday, October 27, 2009

आदमी आदमी से मिलता हैं

आदमी आदमी से मिलता हैं
दिल मगर कम किसीसे मिलता हैं..

भूल जाता हूँ मैं सितम उसके
वो कुछ इस सादगी से मिलता हैं..

आज क्या बात है के फुलोंका
रंग तेरी हँसी से मिलता हैं..

मिलके भी जो कभी नहीं मिलता
टूट कर दिल उसीसे मिलता हैं..

रूह को भी मजा मोहबत का
दिल की हमसाएगी से मिलता हैं..

सिलसिला फितन--क़यामत का
तेरी खुश-क़ीमती से मिलता हैं..

कारोबारें जहाँ सँवरते हैं..
होश जब बेखुदी से मिलता हैं..

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