Sunday, November 29, 2009

काश....

काश ऐसा कोई मंजर होता..
काश ऐसा कोई मंजर होता..
मेरे काँधे पे तेरा सर होता...
काश ऐसा कोई मंजर होता..
मेरे काँधे पे तेरा सर होता..
काश ऐसा कोई मंजर होता..

जमा करता जो मैं आये हुए संग
जमा करता जो मैं आये हुए संग
सर छुपाने के लिए घर होता..
सर छुपाने के लिए घर होता..
मेरे काँधे पे तेरा सर होता...
काश ऐसा कोई मंजर होता..

इस बलंदी पे बहोत तनहा हूँ
तनहा हूँ
बहोत तनहा
तनहा तनहा 
इस बलंदी पे बहोत तनहा हूँ
काश मैं सब के बराबर होता..
काश मैं सब के बराबर होता..
मेरे काँधे पे तेरा सर होता...
काश ऐसा कोई मंजर होता..


उसने उलझा दिया दुनिया में मुझे
उसने उलझा दिया दुनिया में मुझे
वरना इक और कलंदर होता..
वरना इक और कलंदर होता..
मेरे काँधे पे तेरा सर होता...
काश ऐसा कोई मंजर होता..


मेरे काँधे पे तेरा सर होता...
काश ऐसा कोई मंजर होता..
काश....

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