Wednesday, December 2, 2009

असद

आह को चाहिए एक उम्र असर होने तक
कौन जीता है तेरी ज़ुल्फ़ के सर होने तक

आशकी सब्र तलब और तमन्ना बेताब
दिलका क्या रंग करूँ खून-ए-जिगर होने तक

हमने माना के तगाफुल ना करोगे लेकिन
खाक हो जायेंगे हम तुमको खबर होने तक


फर्तब ए खुर से शबनम को फ़ना की तालीम
मैं भी हूँ एक इनायत की नजर होने तक

गम ए हस्ती का 'सद' किससे हो जुज्मर्ग इलाज
शम्मा हर रंग जलती है सहर होने तक

- असद ग़ालिब



http://www.youtube.com/watch?v=ih6BTkJ1Ujc&feature=related
http://www.youtube.com/watch?v=pOUktERIIZo
http://www.youtube.com/watch?v=wLhUuLmtl4A

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