दिल-ए-नादाँ तुझे हुआ क्या है
आखिर इस दर्द की दवा क्या है
हम हैं मुश्ताक़ और वो बेज़ार
या इलाही ये माजरा क्या है
मैं भी मुँह में जुबान रखता हूँ
काश पूछो क़ि मुद्दआ क्या है
जब क़ि तुझ बिन नहीं कोई मौजूद
फिर ये हंगामा-ए-खुदा क्या है
ये परीचेहरा लोग कैसे हैं
गम्जा-ओ-इशवा-ओ-अदा क्या है
शिकन-ए-जुल्फ अंबरी क्यों है
निगह-ए-चश्म-ए-सुरमा सा क्या है
सब्जा-ओ-गुल कहाँ से आये हैं
अब्र क्या चीज है हवा क्या है
हमको उनसे वफ़ा क़ी है उम्मीद
जो नहीं जानते वफ़ा क्या है
हाँ भला कर तेरा भला होगा
और दरवेश क़ी सदा क्या है
जान तुम पर निसार करता हूँ
मैं नहीं जानता दुआ क्या है
मैंने माना के कुछ नही ग़ालिब
मुफ़्त हाथ आए तो बुरा क्या है
-ग़ालिब
Friday, December 18, 2009
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