फिर बनेंगे आशना कितनी मुलाकातों के बाद
कब नज़र में आएगी बेदाग़ सब्जे की बहार
खून के धब्बे धुलेंगे कितनी बरसातों के बाद
थी बहोत बे-मेहर सुबहें मेहरबान रातों के बाद
उनसे जो कहने गए थे 'फैज़' जा सदका किये
अनकही ही रह गयी वोह बात सब बातों के बाद
- फैज़ अहमद फैज़
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