कैसे छुपाऊं राजे-गम, दीदा-ए-तर को क्या करूँ
दिल की तपिश को क्या करूँ, सोजे-जिगर को क्या करूँ
शोरिशे-आशिक़ी कहाँ, और मेरी सादगी कहाँ
हुस्न को तेरे क्या कहूँ, अपनी नज़र को क्या करूँ
ग़म का न दिल में हो गुज़र, वस्ल की शब हो यूँ बसर
सब ये क़ुबूल है मगर, खौफे-सहर को क्या करूँ
हाल मेरा था जब बतर, तब न हुई तुम्हें खबर
बाद मेरे हुआ असर, अब मैं असर को क्या करूँ
- हसरत मोहानी
दिल की तपिश को क्या करूँ, सोजे-जिगर को क्या करूँ
शोरिशे-आशिक़ी कहाँ, और मेरी सादगी कहाँ
हुस्न को तेरे क्या कहूँ, अपनी नज़र को क्या करूँ
ग़म का न दिल में हो गुज़र, वस्ल की शब हो यूँ बसर
सब ये क़ुबूल है मगर, खौफे-सहर को क्या करूँ
हाल मेरा था जब बतर, तब न हुई तुम्हें खबर
बाद मेरे हुआ असर, अब मैं असर को क्या करूँ
- हसरत मोहानी
दर्दे मुहब्बत दिल मे छुपाये , आंख के आसुं कैसे छुपावु
ReplyDeleteआरजू का बज्मे ऐश यहाँ मुहमल मेरे जिंदगी में
ReplyDeleteमुहर-ब-लब जो निदा गश्ते महशर को क्या करूँ
इच्छांचा आनंदोत्सव इथे निरर्थक माझ्या जीवनात
नीरव शांत जी साद चक्राकार वादळाचे काय करू